राहु चौथे स्थान में और केतु दशम स्थान में हो और इसके बीच सारे ग्रह हो तो शंखपाल नामक कालसर्प…
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राहु तीसरे घर में और केतु नवम स्थान में और इस बीच सारे ग्रह ग्रसित हों तो वासुकी नामक कालसर्प…
कुलिक नाम कालसर्प योग- राहु दूसरे घर में हो और केतु अष्टम स्थान में हो और सभी ग्रह इन दोनों…
कालसर्प योग का प्रादुर्भाव कब हुआ यह कोई नहीं जानता है । परन्तु यह आजकल बड़ा विषय बन चुका है…
लग्ने व्यये च पाताले जामित्रे चाष्टमे कुुजे। कन्या भर्तृ विनाशाय वरः कन्या विनाशकृत।। कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम…
भयात भभोग साधन के लिए सर्वप्रथम आपको जन्म नक्षत्र तथा इष्टकाल को साधित करना होगा, किसे कहेंगे जन्म नक्षत्र ?…
ग्रहण योग – कुण्डली में ग्रहण योग एक प्रकार का प्राकृतिक योग है। इस योग का प्रभाव जातक को परेशान…
लग्ने व्यये च पाताले जामित्रे चाष्टमे कुुजे। कन्या भर्तृ विनाशाय वरः कन्या विनाशकृत।। कुण्डली में जब प्रथम, चतुर्थ, सप्तम,…
अयनांश साधन-अयनांश साधन के कई प्रकार ज्योतिष गणित मे प्रचलित हैं। यहां पर हम चित्रा पक्षीय अयनांश साधन बतलायेंगे। क्योंकि…
अचानक धन प्राप्ति का योग – यदि पंचमेश बली होकर केन्द्र त्रिकोणआदि में शुभ प्रभाव में हो, राहु अथवा केतु…