











Aug 06, 2015महेश चंद्र पंत0
राहु बारहवे भाव में और केतु छठे भाव में हो तथा इसके बीच सारे ग्रह आ जाये तो...Aug 06, 2015महेश चंद्र पंत0
राहु ग्यारहवे भाव में और केतु पंचम भाव में हों तथा बाकि के सभी ग्रह इनके बीच...Aug 05, 2015महेश चंद्र पंत0
राहु दशम भाव में तथा केतु चतुर्थ स्थान में हो तो घातक नामक कालसर्प योग (दोष)...Aug 04, 2015महेश चंद्र पंत0
राहु नवम स्थान तथा केतु तीसरे स्थान में हो, तो शंखचूड़ नामक कालसर्प योग बनता...Aug 04, 2015महेश चंद्र पंत0
राहु अष्टम स्थान में और केतु दूसरे स्थान में हो तो कर्कोटक नाम कालसर्प योग...Aug 04, 2015महेश चंद्र पंत0
राहु सप्तम भाव में और केतु लग्न स्थान में हो तो तक्षक नामक कालसर्प योग बनता...Aug 04, 2015महेश चंद्र पंत0
राहु छठे भाव में और केतु बारहवे भाव में और इसके बीच सारे ग्रह अवस्थित हों तो...Jul 16, 2015महेश चंद्र पंत0
ग्रहों के शुभाशुभ फल देने वाले भाव- केन्द्र और त्रिकोण में स्थित ग्रह...Jul 15, 2015महेश चंद्र पंत0
ग्रहों का बलाबल 6 प्रकार का होता है। 1- स्थान बल- जो ग्रह उच्च राशिस्थ,...Jul 04, 2015महेश चंद्र पंत0
राहु पंचम व केतु एकादश भाव में तथा इस बीच सारे ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग...