पंचांग परिचय
पंचांग परिचय- नक्षत्रलोक तिथि पंचांग का निर्माण ग्राम रैली डाकघर चमड़खान ग्वेल देवता मंदिर परिसर को स्पर्श करती अक्षांश रेखा 29/40 उत्तर तथा देशांतर 79/19 पूर्व को केंद्र मानकर किया गया है। सूर्योदय, सूर्यास्त इसी स्थल के हैं । सूर्योदय, सूर्यास्त की गणना किरण वक्री भवन संस्कार रहित है। पंचांग की गणना दृक्तुल्यपद्धति से की गई है। तिथ्यादि मान घड़ी/पला में दिये गए हैं। यह समय तिथ्यादि मानों का समाप्ति काल दर्शाता है। पर्वादि विवरण में घड़ी पला का मान प्रारम्भ काल दर्शाता है। सूक्ष्म विधि से गणित मेषार्क कालीन दृश्य अयनांश 0/24/07/18 है। घण्टा मिनट में भी तिथ्यादि मान को पंचांग में स्थान दिया गया है। दोपहर 12 बजे के बाद 1 बजे का मान पाठकों की सुविधा के लिये 13 दिया गया है। उसी प्रकार दोपहर 2 बजे के लिये 14। जहाँ पर 24, 25, 26 आदि अंक लिखे हैं, वहाँ 24 रात्रि 12 बजे, 25 को रात्रि के 1 बजे, 26 को रात्रि के 2 बजे जानें। इसी प्रकार आगे के अंको में भी 24 घटाकर अर्धरात्रि के बाद का समय जानें। जब तक आगामी दिवसीय सूर्योदय न हो, तब तक भारतीय ज्योतिष परम्परानुसार पिछली तारीख का दिन ही माना जाता है। तिथि एवं नक्षत्रका समय समाप्ति-काल में दिया गया है। करण तथा योग प्रातःकालीन सूर्योदय के ही लिखे गये हैं। पूर्णिमा के लिये 15 और अमावास्या के लिये 30 लिखा गया है, भद्रा तथा संक्रांति का मान घण्टा मिनट में भी दिया गया है कहीं-कहीं उनका मान 24 घण्टा 30 मिनट लिखा है तो उसका अर्थ है रात्रि के 12 बजकर 30 मिनट। इसी प्रकार आगे के अंको में भी 24 घटाकर अर्धरात्रि के बाद का समय जानें। जिन स्थानों पर अहो लिखा गया है उसे अहोरात्र समझेंगे। अर्थात तिथ्यादि मान दिन और रात्रि में व्याप्त है।
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