राहु नवम स्थान तथा केतु तीसरे स्थान में हो, तो शंखचूड़ नामक कालसर्प योग बनता है । इस योग से पीड़ित जातकों के भाग्योदय होने में अनेक प्रकार की अड़चने आती हैं । व्यावसायिक प्रगति, नौकरी में पदोन्नति तथा पढ़ाई – लिखाई में वांछित सफलता मिलने में जातकों को कई प्रकार के विघ्नों का सामना करना पड़ता है । क्योंकि इसके पीछे कारण वह स्वयं होता है । ऐसे लोग अपनो का भी हिस्सा छिनना चाहते हैं । ऐसा जातक अपने जीवन में धर्म से खिलवाड़ करता है । इसके साथ ही उसका अपने अत्यधिक आत्मविश्वास के कारण यह सारी समस्या उसे झेलनी पड़ती है । अधिक सोच के कारण शारीरिक व्याधियां भी उसका पीछा नहीं छोड़ती । इतना ही नहीं इन सब कारणों के वजह से सरकारी महकमों व मुकदमेंबाजी में भी उसका धन खर्च होता है । उसे पिता का सुख तो बहुत कम मिलता ही है, वह ननिहाल व बहनोइयों से भी छला जाता है । उसके मित्र भी धोखाबाजी करने से बाज नहीं आते । उसका वैवाहिक जीवन आपसी वैमनस्यता की भेंट चढ़ जाता है । उसे हर बात के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ता है । समाज में ऐसे जातकों को यथेष्ट मान-सम्मान भी नहीं मिलता । उपरोक्त परेशानियों से बचने के लिए उसे अपने को अपनाना पड़ेगा, अपनो से प्यार करना होगा, धर्म की राह पर चलना होगा एवं मुंह में राम बगल में छूरी की भावना का त्याग करना होगा, तो जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ कुछ कम होंगी । और अगर तब भी कठिनाईयां पीछा नहीं छोड़ती हैं तो निम्नलिखित उपाय बड़े लाभप्रद सिध्द होते हैं ।
दोष निवारण के कुछ सरल उपाय:-
१.इस काल सर्प योग की परेशानियों से बचने के लिए संबंधित जातक को किसी महीने के पहले शनिवार से शनिवार का व्रत इस योग की शांति का संकल्प लेकर प्रारंभ करना चाहिए और उसे लगातार ८६ शनिवारों का व्रत रखना चाहिए । व्रत के दौरान जातक काला वस्त्र धारण करें श्री शनिदेव का तैलाभिषेक करें, राहु के बीज मंत्र की तीन माला जप करें । जप के उपरांत एक बर्तन में जल, दुर्वा और कुश लेकर पीपल की जड़ में डालें । भोजन में मीठा चूरमा, मीठी रोटी, रेवड़ी, तिलकूट आदि मीठे पदार्थों का उपयोग करें । उपयोग के पहले इन्हीं वस्तुओं का दान भी करें तथा रात में घी का दीपक जलाकर पीपल की जड़ में रखकर छोड़ दें ।
२.महामृत्युंजय कवच का नित्य पाठ करें और श्रावण महीने के हर सोमवार का व्रत रखते हुए शिव का रुद्राभिषेक किसी विद्वान् ब्राह्मण से करवाए ।
३.चांदी या अष्टधतु का नाग बनवाकर उसकी अंगूठी हाथ की मध्यमा उंगली में धरण करें । किसी शुभ मुहुर्त में अपने मकान के मुख्य दरवाजे पर चाँदी का स्वस्तिक एवं दोनों ओर धातु से निर्मित नाग चिपका दें ।
४.सवा महीने तक जौ के दाने पक्षियों को खिलाएं और प्रत्येक शनिवार को चींटियों को शक्कर मिश्रित सत्तू उनके बिलों पर डालें ।
५.हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और पांच मंगलवार का व्रत करते हुए हनुमान जी को चमेली के तेल में घुला सिंदूर व बूंदी के लड्डू चढ़ाएं ।