भयात भभोग साधन के लिए सर्वप्रथम आपको जन्म नक्षत्र तथा इष्टकाल को साधित करना होगा, किसे कहेंगे जन्म नक्षत्र ? अगर ईष्टकाल से जन्म नक्षत्र के घड़ी पला कम हों तो वह नक्षत्र गत तथा आगामी नक्षत्र जन्म नक्षत्र कहलाता है। यदि नक्षत्र के घड़ी पला इष्टकाल के घड़ी पला से अधिक हो तो जन्म नक्षत्र से पहले का नक्षत्र गत तथा तात्कालिक नक्षत्र जन्म नक्षत्र कहलाता है। किस प्रकार करे साधन ? गत नक्षत्र की घड़ी पला को 60 घड़ी में शुद्धो करना (घटाना) जो शेष रहे उसमें ईष्टकाल का योग करने पर भयात तथा उसी शेष में जन्म नक्षत्र की घड़ी पला जोड़ देने पर भभोग होता है। यह ध्यान रखें कि भयात हमेशा भभोग से कम होगा।
भयात भभोग साधन उदाहरण –
5 अक्टूबर 2011 बुधवार पंचकूला ( हरियाणा ) ईष्टकाल 10 घड़ी 25 पला पर भयात भभोग साधन
4 अक्टूबर 2011 को पूर्वाषाढा नक्षत्र 52 घड़ी 32 पला तक
5 अक्टूबर 2011 को उत्तराषाढा नक्षत्र 55 घड़ी 9 पला तक
5 अक्टूबर 2011 को जन्म नक्षत्र का मान जन्मेष्ट से अधिक है।
अतः पूर्वाषाढा नक्षत्र गत नक्षत्र भया
गत नक्षत्र की घड़ी पला को 60 घड़ी में घटाने पर
60 – 00
– 55 – 32
04 – 28 शेष
04 – 28 में ईष्टकाल 10 घड़ी 25 पला जोड़ने पर 14 घड़ी 53 पला भयात
04 – 28 में जन्म नक्षत्र उत्तराषाढा के 55 घड़ी 9 पला जोड़ने पर 59 घड़ी 37 पला भभोग प्राप्त हुआ।