कुलिक नाम कालसर्प योग-
राहु दूसरे घर में हो और केतु अष्टम स्थान में हो और सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में हो तो कुलिक नाम कालसर्प योग बनता है ।
इस दोष के कारण जातक को अपयश का भी भागी बनना पड़ता है । इस योग की वजह से जातक की पढ़ाई-लिखाई सामान्य गति से चलती है और उसका वैवाहिक जीवन भी सामान्य ही रहता है । परंतु आर्थिक परेशानियों की वजह से उसके वैवाहिक जीवन में भी जहर घुल जाता है ।
मित्रों द्वारा धोखा, संतान सुख में बाधा और व्यवसाय में संघर्ष कभी उसका पीछा नहीं छोड़ते । जातक का स्वभाव भी विकृत हो जाता है । मानसिक असंतुलन और शारीरिक व्याधियां झेलते-झेलते वह समय से पहले ही बूढ़ा हो जाता है । उसके उत्साह व पराक्रम में निरंतगिरावट आती जाती है । उसका कठिन परिश्रमी स्वभाव उसे सफलता के शिखर पर भी पहुंचा देता है ।
परन्तु ऐसे जातकों को इस योग से होनेवाली परेशानियों के वजह से काफी दुःख झेलना पड़ता है । इसकी वजह से होने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपायों को करना चाहिए ।
दोष निवारण के कुछ सरल उपाय:-
१.सरस्वती जी की एक वर्ष तक विधिवत उपासना करें ।
२.देवदारु, सरसों तथा लोहवान को उबालकर उस पानी से सवा महीने तक स्नान करें ।
३.शुभ मुहूर्त में बहते पानी में कोयला तीन बार प्रवाहित करें ।
४.कालसर्पदोष निवारक यंत्र घर में स्थापित करके उसका नियमित पूजन करें ।
५.नाग के जोड़े चांदी के बनवाकर उन्हें तांबे के लौटे में रखकर बहते पानी में एक बार प्रवाहित कर दें ।
६.प्रतिदिन स्नानोपरांत नवनागस्तोत्र का पाठ करें ।
७.शनिवार से शुरू करके शनिवार के अन्दर ही हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और ग्यारह नारियल हनुमान जी के मंदिर में दान करें ।
८.श्रावण मास में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक कर शिवलिंग पर शहद का लेप करके ”ॐ नम: शिवाय” का सुविधानुसार जप करें ।