अयनांश साधन-
अयनांश साधन के कई प्रकार ज्योतिष गणित मे प्रचलित हैं। यहां पर हम चित्रा पक्षीय अयनांश साधन बतलायेंगे। क्योंकि आधुनिक पंचागकार इसी अयनांश को प्रयोग में ला रहे हैं।
मेषादि विन्दु से बसंत-संपात विन्दु की दूरी अयनांश कहलाती है।चित्रा तारा से शरद संपात की दूरी भी यही होने के कारण इस अयनांश को चित्रा पक्षीय अयनांश भी कहा जाता है।
अयनांश गति-
सूर्यसिद्धान्त से 54 विकला प्रतिवर्ष
ग्रहलाघव से 60 विकला प्रतिवर्ष
दृश्य गणित से 50.3 विकला प्रतिवर्ष
विधि –
खखाष्टम्यून 1800 शकात्खशैले: 70
खपन्चभि 50 भाग कलादि लब्ध्यो:।
यदंतरं तत्सहिता द्विहस्ता 22
नवांक 9 दस्त्रा अयनांश संज्ञा ॥
जिस वर्ष का अयनांश निकालना हो उस वर्ष के शाके में से 1800 घटाओ शेष को दो स्थानों मे लिखो एक स्थान में 70 का भाग देकर अंशादि फल लाओ। दूसरे स्थान पर 50 का भाग देकर कलादि फल लाओ। अंशादि फल मे कलादि फल घटाओ जो शेष बचे उसे 220 09’ 29’’
मे जोड़ने से मेष संक्रांति के दिन अयनांश होगा।
उदाहरण – 1 मई 2011 का अयनांश
शाके 1933 -1800 =133
133/70 = लब्धि 1 शेष 63 गुणा 60 = 3780
3780/70 = 54
दूसरी बार
133/50 = लब्धि 2 शेष 33 गुणा 60 =1980
1980/50 = लब्धि 39 शेष 30 गुणा 60 = 1800
1800/50 = लब्धि 36
= 010 54’ 00’’ 00’’’
– 02’ 39’’ 36’’’
= 010 51’ 20’’ 24’’’
220 09’ 29’’
+010 51’ 20’’
=240 00’ 49’’ यह मेषार्क कालिक अयनांश हुआ।
1 मई 2011 को प्रात: 5:30 का सूर्य स्पष्ट
00 राशि 16 अंश 16 कला 31 विकला या 16.27 अंश
360 अंश मे अयन गति =50.3 विकला
16.27 अंश में अयन गति = 50.3 गुणा 16.27
= 824.88
824.88/360 = 2.29 विकला
इसे मेषार्क कालिक अयनांश में जोड़ देंगे
जोड़ने पर 240 00’ 51 स्पष्ट अयनांश प्राप्त हुआ।