काल सर्प योग:
काल सर्प योग को सबसे प्रबल और दुखदायी योग माना जाता है। कुंडली में जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच हो तो यह योग होता है। जब नक्षत्रों की हेर-फेर के कारण सभी ग्रह राहू व केतू के बीच फंस जाते हैं, तो ऐसी स्थिति का योग अत्यंत ही दुखदाई व दुष्प्रभावशाली होता है। इसके दुष्प्रभाव से अकाल मृत्यु, संतान हानि, धन व्यय आदि हो सकती है। काल सर्प योग से मुक्ति के लिए कई ज्योतिषी काल सर्प यंत्र की पूजा करने की भी सलाह देते हैं।
काल सर्प दोष के उपाय –
काल सर्प यंत्र के लिए शिव के पंचाक्षर मंत्र “ऊं नमः शिवाय: का जप करना चाहिए। इस यंत्र को किसी भी माह की शुक्ल पक्ष के सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को स्थापित कर के प्रतिदिन इसके आगे घी या सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
काल सर्प दोष यंत्र की स्थापना –
यंत्र भेजने से पहले, हम प्राण प्रतिष्ठा करते हैं तथा आपके राशि नाम का संकल्प कर इसे प्रतिष्ठित किया जाता है। प्राण प्रतिष्ठा इस यंत्र से संबंधित देवी / देवता के लिए वेदी , साथ ही होम द्वारा निर्धारित मंत्र पढ़ कर की जाती है ।काल सर्प दोष में मनुष्य के समस्त प्रयास असफल होते हैं, जिस कारण मनुष्य निराश हो जाता है। इस दोष से बचने के लिए सिद्ध व सक्रिय यंत्र की खरीद कर विशेष विधि (पूजा) द्वारा स्थापित करना चाहिए। यंत्र स्थापित कर, उसकी पूजा करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। तथा सभी अपेक्षाकृत परिणाम सफल होते हैं।
नोट: काल सर्प यंत्र की स्थापना और शुद्धिकरण की विधि बेहद आसान है। अगर कोई पंडित या ज्योतिषी आपसे यंत्र की शुद्धिकरण के लिए बड़े प्रयोजन की बात करता है तो उससे सावधान रहें।
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