सोमवार का व्रत – गोचर गत अगर चन्द्रमा की दशा- अंतर्दशा खराब चल रही हो तो सोमवार का व्रत करना चाहिए |शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरम्भ कर २७ या ५४ व्रत करें सोमवार का व्रत ज्येष्ठ श्रावण या मार्गशीर्ष माह के प्रथम सोमवार से आरम्भ करना चाहिए | सोमवार के व्रत से मानसिक शांति मिलती है, धन धान्य तथा कार्यसिद्धि होती है | नमक न खावें मध्यान में दही चावल शक्कर घी दान करके स्वयं भी भोजन करें |
मंगलवार व्रत – मंगल वार का व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से आरम्भ करना चाहिए l लाल वस्त्र धारण कर ७ माला बीज मंत्र का जप करें व मंगल के २१ नामों का उच्चारण करें l उस दिन नमक नहीं खावें, मीठा भोजन खावें तथा लोहे के वर्तनों में बना भोजन नहीं खावें l मंगलवार का व्रत करने से संतति,धन लाभ होता है ऋण तथा व्याधि दूर होती है l
दान सामग्री – प्रवाल, गेहूं, मसूर, गुड़, सुवर्ण, रक्तवस्त्र, ताम्र आदि का यथाशक्ति दान करें l
मंगल के २१ नामों के लिए निम्न स्तोत्र का पाठ करें –
ॐ श्री गणेशाय नमः।
मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मविरोधकः॥
लोहितो लोहिता क्षश्च सामगानां कृपाकरं।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनंदनः॥
अन्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
वृष्टेः कर्त्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥
एतानि कुजनामानि नित्यं यः श्रद्धया पठेत ।
ऋण न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात ॥
बुधवार का व्रत प्रमुखतया विशाखा नक्षत्र युक्त बुधवार के दिन से आरम्भ करना चाहिए, यदि यह योग नहीं मिले तो शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार से आरम्भ कर लेना चाहिए। कम से कम १७ या २१ व्रत करें। इस दिन हरे वस्त्र पहन कर बीज मंत्र की २१ माला का जप करना चाहिए। मूंग के लड्डू शक्कर मिलाकार दान करें तथा स्वयं भी खावें। विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ भी लाभ दाई होता है। बुधवार का व्रत,बुद्धिदाता एवं व्यापार से धन लाभ व विद्या प्राप्ति के लिए लाभप्रद है।
गुरुवार का व्रत अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से आरम्भ करना चाहिए।यदि यह योग न मिले तो ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से व्रत को आरम्भ कर ११ माह या १६ माह तक यह व्रत करना चाहिए। या कम से कम १६ व्रत करें। इस दिन पीत वस्त्र धारण कर गुरु के बीज मंत्र की २१ माला जप करें बेसन के लड्डू बनाकर बाह्मणों को दान करें तथा स्वयं भी नमक रहित भोजन खावें। चने की दाल का दान करने से विशेष शुभ फल मिलता है। इस दिन केले के वृक्ष की पूजा करें तथा केला न खावें।