उपाकर्म! स्पष्ट निर्णय :-
दिनांक 12 जुलाई 2017 को अमर उजाला के नैनीताल संस्करण के पृष्ठ संख्या 8 में छपे उपाकर्म (वार्षिक जनेऊ धारण ) संस्कार और रक्षाबन्धन पर्व पर हल्द्वानी की पर्व निर्णय सभा के निर्णय पर हैरानी होती है। क्योकि इसमें यह प्रकाशित किया गया है कि 7 अगस्त को हस्त नक्षत्र और भद्रा होने के कारण 28 जुलाई को रक्षाबन्धन और उपाकर्म किया जाएगा। प्रश्न यह है कि विद्वानों की इस सभा में किसी ने यह भी नहीं देखा कि 7 अगस्त 2017 को हस्त नक्षत्र है ही नहीं ।
श्रावणी पर्व हमेशा श्रवण नक्षत्र के संयोग पर ही मनाया जाता है । इस वर्ष रक्षाबन्धन 28 जुलाई को मनाया जाना और उपाकर्म करना भी शास्त्र सम्मत नहीं है क्योंकि यजुर्वेदियों का उपाकर्म तीन प्रमुख योगों पर किया जाता है।
1. श्रावण पूर्णिमा 2. श्रावण शुक्ल पंचमी 3. श्रावण शुक्ल में पंचमी युक्त हस्त नक्षत्र, दूसरे और तीसरे योग पर तब विचार किया जाता है जब श्रावण पूर्णिमा के दिन ग्रहण या संक्रान्ति हो । 7 अगस्त 20 17 को चन्द्र ग्रहण होने के कारण उपाकर्म उस दिन नहीं हो सकता परन्तु रक्षाबंधन 11 बजकर 8 मिनट के बाद किया जाना चाहिए इसका ग्रहण से कोई संबंध नहीं है । धर्म सिन्धु और निर्णय सिंधु में स्पष्ट लिखा है कि यदि पंचमी और हस्त तीन मुहूर्त से कम हो तो पहले ही दिन उपाकर्म किया जाए। श्री रामदत्त पंचाग, श्री ताराप्रसाद दिव्य पचांग एवं अन्य प्रचलित पंचांगों में विषमता से यह विवाद उत्पन्न हुआ है ।
इस संबंध में प्रवासी उत्तराखंडी सुधी सज्जनों ने लखनऊ , बनारस ,कलकत्ता , मुंबई , गांधीनगर, उदयपुर, गुड़गांव, पंचकुला, चंडीगढ़, जम्मू, धर्मशाला , देहरादून, कोटद्वार, देवघर, रायपुर, दिल्ली, अल्मोड़ा, रानीखेत, हल्द्वानी शहरों से मोबाईल एवं व्हाट्सप द्वारा संपर्क कर उपस्थित संशय को दूर कर स्थिति को स्पष्ट करने का आग्रह किया ।
इस संशय के निवारण हेतु नक्षत्रलोक के द्वारा ज्योतिष कर्मकांड एवं शास्त्रज्ञ विद्वानों से विनम्र निवेदन कर बैठक हेतु आमंत्रित किया गया और सुधी जनों ने सहर्ष आमंत्रण स्वीकार कर बैठक में अपनी गरिमामयी उपस्थिति देकर शास्त्र सम्मत निर्णय प्रतिपादित किया, श्री महेश चन्द्र पन्त ( पंचागकार, गणितज्ञ एवं ज्योतिषी), डाॅ. स्मर बेणुधर पराशर ( तर्कशास्त्री), श्री घन श्याम जी(यजुर्वेदाचार्य), श्री दिनेश तिवारी जी, श्रीमती खीला पन्त, श्री आनंद जोशी जी( साहित्याचार्य), श्री पूरन चन्द्र जोशी(ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड), पं. नन्दाबल्लभ जोशी, श्रीमती मीना कर्नाटक( ज्योतिषी), पं. मोहन जोशी( कर्मकाण्डी), पं. ललित मोहन तिवारी( कर्मकाण्डी) और युगल किशोर जी ने श्रावणी उपाकर्म से संबंधित सनातन धर्म शास्त्रीय प्रतिपादित मतों का विवेचन कर सभी संशयों का पटाक्षेप कर निम्नानुसार निर्णय दिया ।
28 जुलाई 2017 को दिनमान 33 घडी 45 पला का है । इसके अनुसार इस दिन एक मुहूर्त का समय 2 घडी 14 पला 20 विपला का है। इस दिन पंचमी तिथि 2 घडी 38 पला अर्थात एक मुहूर्त से 24 पला अधिक है । निर्णय सिंधु के वाक्य यदा द्वितीय दिने मुहूर्त द्वयं न्यूना भवति सर्व यजुषाणां पूर्वं ग्राह्या. के आधार पर 27 जुलाई को उपाकर्म होना चाहिए। यदि हम देशाचारात और पूर्व में कूर्मांचलीय पंचांगकारों के निर्णय पर बात करें तो नाग पंचमी को उपाकर्म करना पाया गया है और इनमें हस्त नक्षत्र भी था और कई स्थानों पर हस्त नक्षत्र नहीं था। लेकिन इस वर्ष की स्थिति अलग है इस वर्ष 28 जुलाई को पंचमी तिथि तीन मुहूर्त से कम है । अब 27 जुलाई पर विचार करेंगे प्रातः काल संगव व्यापिनी पंचमी में उपाकर्म करते हैं इस शास्त्र वचन के आधार पर गणित देखें 27 जुलाई दिनमान 33 घडी 45 पला प्रातः काल का समय 06 घडी45 पला संगव काल 13 घडी 30 पला अर्थात 8 बजकर 17 मिनट तक प्रातः काल कहेंगे और 10 बजकर 59 मिनट तक संगव काल। 7 बजकर 1 मिनट से पंचमी प्रारम्भ हो जाती है लेकिन 28 जुलाई को हस्त युक्ता होते हुए भी उपाकर्म के लिए ग्राह्य नहीं मानी जा सकती।
नक्षत्रलोक का कूर्म प्रदेश के माध्यन्दिन शाखा के सभी यजुर्वेदियों से निवेदन हैं कि वे 27 जुलाई को उपाकर्म करें अन्य हस्त नक्षत्रानुयायी यजुर्वेदी 28 को भी उपाकर्म कर सकते हैं इस विषय पर सभी सुधीजन निर्णय सिंधु,धर्म सिंधु का विस्तृत अध्ययन करके शास्त्र की बातों की मर्यादा रखेंगे।
काण्वमाध्यंदिनादिकात्यायनानां श्रवणयुता श्रावण केवला वा, हस्तयुक्तापंचमी केवला वा मुख्यकालः केवल हस्ते केवल श्रवणे तैर्नकार्यम्।
इस संबंध श्री ताराप्रसाद दिव्य पचांग का मत शास्त्र सम्मत है।
समस्त धर्मप्रेमी जनता 27 जुलाई 2017 पूर्वाह्न को उपाकर्म और 7 अगस्त 2017 को 11:08 मिनट के बाद रक्षाबन्धन पर्व मनाएं ।