आज के युग में धन का महत्व अधिक होता जा रहा है। नीतिशतक का यह श्लोक द्रष्टव्य है।
यस्यास्ति वित्तं स नरः कुलीनः
स पण्डित स श्रुतवान् गुणज्ञः ।
स एव वक्ता स च दर्शनीयः
सर्वे गुणाः कांचनमाश्रयन्ते ॥
जिसके पास वित्त होता है, वही कुलीन, पण्डित, बहुश्रुत और गुणवान समझा जाता है । वही वक्ता और सुंदर भी गिना जाता है । सभी गुण सोने के आश्रित है ।
अपनी जन्मकालीन ग्रहों पर विचार अवश्य करा लें।
यदि आप कमा तो रहे हैं पर धन का स्थायित्व नहीं है तो समझें शुक्र व चन्द्र पापाक्रान्त हैं। यदि रोग में व्यय हो रहा है तो आपका धनेश तथा द्वादशेष पापाक्रान्त होता है या इन भावों में पापग्रह होते हैं। अन्य योगों के लिए जन्म कुण्डली का अवलोकन कराऐं।