आज के समय में लोग कार्य तथा व्यवसाय में अधिक से अधिक साझेदारी करते हैं। समय समय पर यह भी पाया जाता है कि दोनों भागीदारों का कारोबार सही नहीं चल रहा है या कारोबार के चलने के बाद दोनों में विवाद हो जाता है और बात न्यायालय तक चली जाती है। इस विषय पर मुझ से भी अनेकों बार अनेक लोगों ने प्रश्न किए इसलिए इस प्रकार के योगों पर चर्चा कर रहा हूँ । ज्योतिषशास्त्र में व्यक्ति के लग्नानुसार साझेदारी का फल मिलता है। राशि की मित्रत्रा होना और लग्नेश में मित्रत्रा होना प्रमुख है। जिनपर चर्चा करना जरूरी है।राशि के समान होने पर साझेदारी में आरम्भ में लाभ होता है। परन्तु बाद में दोनों आपस में प्रतियोगिता करने लगते हैं और दोनों को नुकसान हो जाता है।
जिस व्यक्ति के साथ आप साझेदारी कर रहे हैं यदि उसका जन्म लग्न आपके लग्न से दूसरा है यह आपके धन के लिए लाभकारी है पर साझेदार को हानि हो सकती है। यदि तीसरी राशि है तो मित्र विपत्ति में काम नहीं आएगा। लग्न से चैथी राशि वाले का भी यही फल है परन्तु आपस में प्रगाढ़ता रहती है। लग्न से पंचम राशि वाले व्यक्ति से साझेदारी लाभप्रद रहती है दोनों एक दूसरे के प्रति समर्पित रहते हैं। अपने लग्न से छठी राशि वालों से मित्रत्रा ठीक नहीं हैं। लग्न से सातवीं राशि के व्यक्ति से साझेदारी फलदाई रहती है दोनों लाभ को प्राप्त करते हैं। अपने लग्न से आठवीं राशि से साझेदारी से बचना चाहिए। अपने लग्न से नवीं राशि से सहयोग अच्छा मिलता है और लाभ भी प्राप्त होता है। दशम राशि से मित्रत्रा लाभ प्रद तो रहती है पर मित्र के साथ मतभेद भी बनते रहते हैं। अपने लग्न से एकादश राशि से परस्पर लाभ होता है प्रायः दोनों में निकटता परिलक्षित होती है। अपने लग्न से द्वादश राषि से साझेदारी नुकसानदायी रहती है एक मित्र को स्वास्थ्य हानि भी होती है।