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    Home»ज्योतिष सीखिये»कालसर्प योग-12
    ज्योतिष सीखिये

    कालसर्प योग-12

    संपादक नक्षत्रलोक तिथि पंचांगBy संपादक नक्षत्रलोक तिथि पंचांगAugust 6, 2015No Comments3 Mins Read
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    राहु बारहवे भाव में और केतु छठे भाव में हो तथा इसके बीच सारे ग्रह आ जाये तो शेषनाग कालसर्प योग बनता है ।शास्त्रोक्त परिभाषा के दायरे में यह योग परिगणित नहीं है किंतु व्यवहार में लोग इस योग संबंधी बाधओं से पीड़ित अवश्य देखे जाते हैं । इस योग से पीड़ित जातकों की मनोकामनाएं हमेशा विलंब से ही पूरी होती हैं ।ऐसे जातकों को अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए अपने जन्मस्थान से दूर जाना पड़ता है और शत्रु के षडयंत्रों से उसे हमेशा वाद-विवाद व मुकदमेबाजी में फंसे रहना पड़ता है । उनके सिर पर बदनामी की कटार हमेशा लटकी रहती है । शारीरिक व मानसिक व्याधियों से अक्सर उसे व्यथित होना पड़ता है और मानसिक उद्विग्नता की वजह से वह ऐसी अनाप-शनाप हरकतें करता है कि लोग उसे आश्चर्य की दृष्टि से देखने लगते हैं । लोगों की नजर में उसका जीवन बहुत रहस्यमय बना रहता है । उसके काम करने का ढंग भी निराला होता है । वह खर्च भी आमदनी से अधिक किया करता है । फलस्वरूप वह हमेशा लोगों का देनदार बना रहता है और कर्ज उतारने के लिए उसे जी तोड़ मेहनत करनी पड़ती है । ऐसे जातकों के जीवन में एक बार अच्छा समय भी आता है जब उसे समाज में प्रतिष्ठित स्थान मिलता है और मरणोपरांत उसे विशेष ख्याति प्राप्त होती है । इस योग की बाधओं से त्राण पाने के लिए यदि निम्नलिखित कुछ उपाय किये जायें तो जातक को बहुत लाभ मिलता है ।

    दोष निवारण के कुछ सरल उपाय:-

    १.किसी शुभ मुहूर्त में ‘ॐ नम: शिवाय’ की 11 माला जप करने के उपरांत शिवलिंग का गाय के दूध से अभिषेक करें और शिव को प्रिय बेलपत्र आदि सामग्रियां श्रध्दापूर्वक अर्पित करें । साथ ही तांबे का बना सर्प विधिवत पूजन के उपरांत शिवलिंग पर समर्पित करें ।

    २.हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और मंगलवार के दिन हनुमान जी की प्रतिमा पर लाल वस्त्र सहित सिंदूर, चमेली का तेल व बताशा चढ़ाएं ।

    ३.किसी शुभ मुहूर्त में मसूर की दाल तीन बार गरीबों को दान करें ।

    ४.सवा महीने जौ के दाने पक्षियों को खिलाने के बाद ही कोई नया काम प्रारंभ करें सफलता अवश्य मिलेगी ।

    ५.काल सर्प दोष निवारण यंत्र घर में स्थापित करके उसकी नित्य प्रति पूजा करें और भोजनालय में ही बैठकर भोजन करें अन्य कमरों में नहीं ।

    ६.किसी शुभ मुहूर्त में नागपाश यंत्र अभिमंत्रित कर धरण करें और शयन कक्ष में बेडशीट व पर्दे लाल रंग के प्रयोग में लायें ।

    ७.शुभ मुहूर्त में मुख्य द्वार पर अष्टधतु या चांदी का स्वस्तिक लगाएं और उसके दोनों ओर धातु निर्मित नाग चिपका दें तथा एक बार देवदारु, सरसों तथा लोहवान इन तीनों को उबाल कर स्नान करें ।

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