राहु बारहवे भाव में और केतु छठे भाव में हो तथा इसके बीच सारे ग्रह आ जाये तो शेषनाग कालसर्प योग…
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राहु ग्यारहवे भाव में और केतु पंचम भाव में हों तथा बाकि के सभी ग्रह इनके बीच में हो तो…
राहु दशम भाव में तथा केतु चतुर्थ स्थान में हो तो घातक नामक कालसर्प योग (दोष) बनाते हैं । इस…
राहु नवम स्थान तथा केतु तीसरे स्थान में हो, तो शंखचूड़ नामक कालसर्प योग बनता है । इस योग से…
राहु अष्टम स्थान में और केतु दूसरे स्थान में हो तो कर्कोटक नाम कालसर्प योग बनता है । जैसा कि…
राहु सप्तम भाव में और केतु लग्न स्थान में हो तो तक्षक नामक कालसर्प योग बनता है । कालसर्प योग…
राहु छठे भाव में और केतु बारहवे भाव में और इसके बीच सारे ग्रह अवस्थित हों तो महापद्म नाम का…
ग्रहों के शुभाशुभ फल देने वाले भाव- केन्द्र और त्रिकोण में स्थित ग्रह प्राय: शुभफल देते हैं। दूसरे तथा तीसरे…
ग्रहों का बलाबल 6 प्रकार का होता है। 1- स्थान बल- जो ग्रह उच्च राशिस्थ, स्वगृही, मित्र राशिस्थ, मूल त्रिकोण…
राहु पंचम व केतु एकादश भाव में तथा इस बीच सारे ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग बनता है। इसके…