राहु दशम भाव में तथा केतु चतुर्थ स्थान में हो तो घातक नामक कालसर्प योग (दोष) बनाते हैं । इस योग में उत्पन्न जातक यदि माँ की सेवा करे तो उत्तम घर व सुख की प्राप्ति होती है । इस दोष से ग्रसित जातक हमेशा जीवन पर्यन्त सुख के लिए प्रयत्नशील रहता है उसके पास कितना ही सुख आ जाये उसका जी नहीं भरता है । उसे पिता का भी विछोह झेलना पड़ता है । वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं रहता । ऐसे जातक को व्यवसाय के क्षेत्र में अप्रत्याशित समस्याओं का मुकाबला करना पड़ता है । परन्तु व्यवसाय व धन की कोई कमी नहीं होती है । नौकरी पेशा वाले जातकों को सस्पेंड, डिस्चार्ज या डिमोशन के खतरों से रूबरू होना पड़ता है । ऐसे लोग यदि साझेदारी के काम में हों, तो उसमें भी मनमुटाव व घाटा उसे क्लेश पहुंचाते रहते हैं । सरकारी पदाधिकारी भी उससे खुश नहीं रहते और मित्र भी समय-समय पर धोखा देते रहते हैं । यदि यह जातक रिश्वतखोरी व दो नम्बर के काम से बाहर आ जाएं तो जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती हैं ।ऐसे लोगों को सामाजिक प्रतिष्ठा जरूर मिलती है और साथ ही राजनैतिक क्षेत्र में भी बहुत सफलता प्राप्त करता है । उक्त परेशानियों से बचने के लिए ऐसे कुण्डली वाले लोगों को निम्नलिखित उपाय कर लाभ प्राप्त करना चाहिए ।
दोष निवारण के कुछ सरल उपाय:-
१.नित्य प्रति हनुमान चालीसा का पाठ करें व प्रत्येक मंगलवार का व्रत रखें तथा हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर चढ़ाएं एवं बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं ।
२.एक वर्ष तक गणपति अथर्वशीर्ष का नित्य पाठ करें तथा गणेश जी को नित्य दूर्वादल चढ़ाएं ।
३.शनिवार का व्रत रखें, श्री शनिदेव का तैलाभिषेक व पूजन करें और लहसुनियां, सुवर्ण, लोहा, तिल, सप्तधन्य, तेल, काला वस्त्र, छिलके समेत सूखा नारियल, कंबल आदि का समय-समय पर दान करें ।
४.सोमवार के दिन व्रत रखें, भगवान शिव के मंदिर में चांदी के नाग की पूजा कर अपने पितरों का स्मरण करें और उस नाग को बहते जल में श्रध्दापूर्वक विसर्जित कर दें ।
५.कम से कम सवा महीने तक अन्न के दाने पक्षियों को खिलाएं और प्रत्येक शनिवार को चींटियों को शक्कर मिश्रित सत्तू उनके बिलों पर डालें ।